Monday 19 January 2015

दिल मे बसा के तेरा प्यार.....

दिल मे बसा के तेरा प्यार
आँखों मे लिए तेरा इंतजार
मैं घूमा करता हु
दिखे जहा तेरे कदमो के निशान
झुक के मैं उन्हें चूमा करता हु !


तू परियों की है शहजादी
मेरे कैदी दिल की तू आजादी
आ तू मुझे रिहा कर
संग ले चल तू मुझे अपने
मुझपर तेरी नज़र मेहरबान कर !

प्यार है तुझसे
ये अगर केह दू मैं तुझसे
कही तू रूठ ना जाये मुझसे
इसलिए मैं डरता हु
तन्हाइयों मे आहे भरता हु !

साथ होती है तू
फिर भी होता है फासला
कैसे बढ़ाऊ इस दिल का हौसला
ना जाने कैसे सुलझे अब ये मसला
अब तू ही बता मैं क्या करू ?

अब मुझे तू और न तड़पा
कर दे ख़त्म ये गमो का सिलसिला
सजाई है मैंने खुद ही अपनी चिता
है गुजारिश तुझे तू आके उसे जला … !

~ हर्ष


दिनांक २० जानेवारी २०१५ च्या दैनिक प्रत्यक्षमधील डॉ. अनिरुद्ध धै. जोशी यांच्या अग्रलेखातील हर्क्युलिस आणि अफ्रोडाईटमधील प्रसंग वाचून सुचलेली कविता. 

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