Friday 14 August 2015

पसंद हे मुझे



पसंद हे मुझे यहाँ की भीड़
त्योहारों का शोरगुल,
उड़ते हुए रंग ,
आसमा को चूमते पटाखे,
और यहाँ के गीत !

रास आता हे मुझे यहाँ का मौसम,
हल्की बरसातें ,
कभी कड़ी धुप,
तो कभी गुलाबी थंड !

भाते हे सपनो के पीछे दौड़ने वाले लोग
और वो जो सिर्फ करते है नोक-झोक !

यहाँ आम के आम और गुठलियों के भी दाम है
कभी ना रुकने वाले रेल को मेरा सलाम है !

मजे लेता हु सुन के यहाँ की नारेबाजी
भ्रष्ट नेताओं की सुन के बकरबाजी !

यहाँ तो हे पूरी की पूरी दाल काली
पुलिस से हाथ मिलाये हे यहाँ मवाली !

तमाम खामियों के बावजूद मुझे इस देश से हे प्यार
चढ़ा नशा इस देश का ऐसे की उतरता ही नहीं यार !
मुस्कुराते हुए वो ३ सरफिरे चढ़े ते फासी
बड़ी मुश्किल से आज़ादी की दुल्हन हुई थी राजी !!!
जय हिन्द !!!

~ हर्ष पवार

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